अभिनेता अर्जन बाजवा, जिन्होंने फैशन, क्रूक, सोन ऑफ सरदार, बॉबी जासूस, रुस्तम, कबीर सिंह जैसी सुपरहिट फिल्मों और बेस्टसेलर, स्टेट ऑफ सीज: 26/11 जैसी वेब सीरीज में काम किया है, ने Men’s Mental Health Month (जून) के अवसर पर पुरुषों के मानसिक स्वास्थ्य को लेकर अपने विचार साझा किए।
उन्होंने कहा,
“पुरुषों का स्वास्थ्य बहुत नजरअंदाज किया जाता है क्योंकि उनसे उम्मीद की जाती है कि वे कभी कोई भावना न दिखाएं। उन्हें एक ऐसा इंसान माना जाता है जो हर स्थिति को संभाल सकता है, घर चलाता है और कभी कमजोर नहीं होता।”
अर्जन ने आगे कहा,
“अगर कोई पुरुष इमोशनल दिखता है, तो उसे कमजोर समझा जाता है। पर लोग ये भूल जाते हैं कि पुरुष भी इंसान हैं। उनकी इमोशनल हेल्थ भी उतनी ही जरूरी है क्योंकि सही मानसिक स्थिति से ही सही नतीजे मिलते हैं।”
उन्होंने माना कि एक पब्लिक फिगर होने के बावजूद वे अपनी भावनाएं आसानी से व्यक्त नहीं कर पाते।
“हमेशा अपने सपनों के पीछे भागने में व्यस्त रहते हैं। दिल और दिमाग में बीते, वर्तमान और भविष्य को लेकर कई उलझनें रहती हैं, पर उन्हें जाहिर करने का समय और जगह नहीं मिलती।”
उन्होंने कहा कि आमतौर पर पुरुषों की बातचीत में उनकी निजी परेशानियों की चर्चा नहीं होती, क्योंकि यह उनकी जिंदगी का हिस्सा माना जाता है।
“जब भी कोई पुरुष दिल खोलकर अपने दर्द की बात करता है तो उसे कमजोर समझ लिया जाता है। इसलिए पुरुष अक्सर अपनी समस्याओं का सामना चुपचाप करते हैं और आगे बढ़ जाते हैं।”
अर्जन ने बताया कि बचपन से ही पुरुषों को सिखाया जाता है कि “मर्द रोते नहीं।”
“पुरुषों को लापरवाह होने की आजादी नहीं मिलती। उन्हें हर समय मजबूत दिखना होता है, हर कदम सोच-समझकर उठाना होता है। यही वजह है कि वे अपनी भावनाओं को दबा देते हैं और किसी से साझा नहीं करते।”
उन्होंने कहा कि भले ही कोई मदद ले, लेकिन अंत में पुरुष को खुद ही तय करना होता है कि कैसे वह अपनी जिंदगी और जिम्मेदारियां निभाए।
“बचपन से ही पुरुषों को एक ऐसे बॉक्स में डाल दिया जाता है जहां उनसे कभी गलती, भावनाएं या लापरवाही की उम्मीद नहीं की जाती। उन्हें हमेशा अपने हर कदम के लिए जवाबदेह माना जाता है।”
अर्जन बाजवा का मानना है कि यही सोच पुरुषों के मानसिक स्वास्थ्य को सबसे ज्यादा प्रभावित करती है और समाज को इस पर गंभीरता से सोचने की जरूरत है।