निर्माता: रघुवेन्द्र सिंह
निर्देशक: शिबू प्रसाद और नंदिता
कलाकार: परेश रावल, नीना कुलकर्णी, शिव पंडित, मिमी चक्रवर्ती, मनोज जोशी, अमृता सुभाष, टीकू तलसानिया और अन्य
प्लेटफार्म: सिनेमाघर
रेटिंग: 3.5/5
संक्षेप:
शास्त्री विरुद्ध शास्त्री एक सात वर्षीय बच्चे मोमोजी की कहानी है, जो अपने माता-पिता और दादा-दादी के बीच में उलझा हुआ है। मोमोजी का जन्म मुंबई में हुआ था, लेकिन जब वह तीन महीने का था, तो उसकी तबियत खराब हो गई थी। उसके माता-पिता दोनों वर्किंग हैं, इसलिए उसकी दादी ने उसे पंचगनी ले जाकर अपने साथ रखा। मोमोजी के माता-पिता उसे वीकेंड पर देखने आते हैं, लेकिन अब वे उसे अपने साथ मुंबई ले जाना चाहते हैं। लेकिन मोमोजी के दादा का मानना है कि बच्चे को अपने पिता के साथ रहना चाहिए।
मोमोजी के पिता को अमेरिका में एक नौकरी का ऑफर मिल जाता है। वे मोमोजी को लेकर अमेरिका जाना चाहते हैं, लेकिन मोमोजी के दादा इस बात से सहमत नहीं हैं। वे मोमोजी की कस्टडी के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाते हैं।
विश्लेषण:
शास्त्री विरुद्ध शास्त्री एक सार्थक और मनोरंजक पारिवारिक फिल्म है। यह फिल्म पैरेंटहुड के मुद्दे को एक नए नजरिए से देखती है। फिल्म में दिखाया गया है कि बच्चे को कैसे पालना चाहिए, इस पर कोई एक सही या गलत जवाब नहीं है। हर परिवार की अपनी परिस्थितियां होती हैं, और हर परिवार के लिए सबसे अच्छा क्या है, यह अलग-अलग हो सकता है।
फिल्म के कलाकारों ने सभी बेहतरीन अभिनय किया है। परेश रावल ने दादा शास्त्री की भूमिका में दमदार अभिनय किया है। नीना कुलकर्णी ने दादी शास्त्री की भूमिका में मासूमियत और प्यार को बखूबी निभाया है। शिव पंडित ने पिता की भूमिका में ठीक-ठाक अभिनय किया है, लेकिन इमोशनल दृश्यों में वह कुछ कमजोर नजर आए हैं। मिमी चक्रवर्ती ने मां की भूमिका में अपनी पहली हिंदी फिल्म में भी प्रभावित करने में कामयाबी हासिल की है। कबीर पाहवा ने मोमोजी की भूमिका में बहुत प्यारे लगे हैं।
फिल्म के निर्देशन और सिनेमेटोग्राफी भी अच्छी है। फिल्म की कहानी में कुछ खामियां जरूर हैं, लेकिन कुल मिलाकर यह एक अच्छी फिल्म है, जिसे परिवार के साथ देखना अच्छा अनुभव होगा।
खास बातें:
- परेश रावल और नीना कुलकर्णी का दमदार अभिनय
- पैरेंटहुड के मुद्दे को एक नए नजरिए से दिखाया गया है
- फिल्म की कहानी में कुछ खामियां
रेटिंग: 3.5/5
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